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निर्भया गैंगरेप व हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दोषियों की पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। दोषियों की ओर से कहा गया कि यह मामला फांसी का सजा का बनता ही नहीं है। मालूम हो कि विनय, पवन और मुकेश ने पुनर्विचार याचिकाएं दायर की हैं लेकिन अक्षय ने अब तक पुनर्विचार याचिका नहीं दायर की है।
दोषी विनय और पवन की ओर से पेश वकील ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ केसमक्ष कहा कि दोषी गरीब पृष्ठभूमि से हैं। वे आदतन अपराधी नहीं हैं। उन्हें सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए। वहीं दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि दोषियों की इन दलीलों को पहले ही ठुकराया जा चुका है।
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अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Updated Fri, 04 May 2018 10:49 PM IST
सुप्रीम कोर्ट
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निर्भया गैंगरेप व हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दोषियों की पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। दोषियों की ओर से कहा गया कि यह मामला फांसी का सजा का बनता ही नहीं है। मालूम हो कि विनय, पवन और मुकेश ने पुनर्विचार याचिकाएं दायर की हैं लेकिन अक्षय ने अब तक पुनर्विचार याचिका नहीं दायर की है।
दोषी विनय और पवन की ओर से पेश वकील ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ केसमक्ष कहा कि दोषी गरीब पृष्ठभूमि से हैं। वे आदतन अपराधी नहीं हैं। उन्हें सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए। वहीं दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि दोषियों की इन दलीलों को पहले ही ठुकराया जा चुका है।
बहरहाल पीठ ने इस दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। पीठ ने कहा कि अगर कोई पक्ष लिखित दलीलें पेश करना चाहता है तो वह आठ मई तक पेश कर सकता है। मालूम हो कि निचली अदलत ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा था।
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